यही इसी राह पर,
देखा था उसको भटकते हुए,
कई बार,
ख्वाबोमे खोई हुई,
और मंज़िल की तरफ बढ़ते हुए,
एक दिन,
मैं भी उसके पीछे चला,
मंज़िल उसकी जानने के लिए,
नापे उसके हर कदम,
और मैं भी चला बहकते हुए.
यही इसी राह पर,
देखा था उसको भटकते हुए,
कई बार,
ख्वाबोमे खोई हुई,
और मंज़िल की तरफ बढ़ते हुए,
एक दिन,
मैं भी उसके पीछे चला,
मंज़िल उसकी जानने के लिए,
नापे उसके हर कदम,
और मैं भी चला बहकते हुए.